हरिहरपुरी की कुण्डलिया
हरिहरपुरी की कुण्डलिया
रखना खुश हर जीव को, जो कुछ बने सो देहु।
देने के बदले सुनो, कभी न कुछ भी लेहु।।
कभी न कुछ भी लेहु, दान का अर्थ समझना।
दान यज्ञ का मान, जगत में स्थापित करना।।
कहें मिसिर कविराय, हृदय में सबके रहना।
मानव के प्रति सोच, सुखद पावन नित रखना।।
मिसिर की कुण्डलिया
प्यारा भारतवर्ष है, संस्कृति दिव्य महान।
इसको केवल जानते, जगती के विद्वान।।
जगती के विद्वान, जानते इसकी विद्या।
दिया विश्व को ज्ञान, मात शारदे आद्या।।
कहें मिसिर कविराय, कला-संस्कृति में न्यारा।
सहनशील शुभ इच्छु,जगत में सबसे प्यारा।।
क़
Muskan khan
09-Jan-2023 06:09 PM
Well done
Reply
Sushi saxena
08-Jan-2023 08:25 PM
👌👌
Reply